Sunday, July 3, 2011

एक सबक

एक दिन शहर में रहनेवाले एक समृद्ध परिवार में पिता अपने बेटे को गांव दिखाने ले गये. वे उसे यह दिखाना चाहते थे कि दुनिया में बहुत गरीब लोग भी रहते हैं. दो दिन एक गरीब परिवार के खेत पर बिताने के बाद जब वे वापस लौट रहे थे, तब पिता ने पूछा, ‘‘बेटे यह अनुभव कैसा रहा? तुमने देखा कि लोग कितने गरीब हो सकते हैं ?’’

बेटे ने कहा, ‘‘हां पिताजी, मैंने देखा कि हमारे पास एक कुत्ता है, इनके पास चार. हमारा स्विमिंग पूल गार्डन के आधे हिस्से में है. इनकी नदी पता नहीं कहां तक जाती है. हमने गार्डन में विदेशों से मंगाये हुए लैंप लगाये हैं. इनके पास रात में अनेक सितारे हैं. हमारे घर में बड़ा-सा आंगन है, जबकि इनके लिए पूरी धरती ही आंगन है.

हमारे रहने की जगह एक प्लॉट पर बना मकान है, पर इनके पास रहने की जगह की कोई सीमा नहीं है. हमारे पास घर के काम करने के लिए नौकर हैं, जबकि ये खुद एक-दूसरे की मदद करते हैं. हम अपने खाने-पीने का सामान बाजार से खरीदते हैं और ये अपना भोजन खुद उगाते हैं. हमने अपनी सुरक्षा के लिए दीवारें बनायी हैं, परंतु ये सभी मित्र मिल कर एक-दूसरे की रक्षा करते हैं.’’

पिता अपने बेटे की बात सुन कर अवाक रह गये. उन्होंने कहा, ‘‘हम अपने सारे कार्यो के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं. झूठ का गर्व करते हैं. जो सेवा करते हैं, उन्हें हम तुच्छ समझते हैं. बेटे तुमने आज मेरी आंखें खोल दी हैं, जिन्हें हम गरीब समझते हैं, वास्तव में वे ही सबसे धनी हैं. हम उनके सामने कुछ भी नहीं.’’शिक्षा सोच-विचार और व्यवहार की गरीबी धन की गरीबी से बड़ी से होती है.