Monday, January 14, 2013

शेरो से आँख मिला बैठे

कुत्तो की हिम्मत कैसे हुई, शेरो से आँख मिला बैठे या तो कुत्तो में ताकत आई, या शेर बुजदिल बन बैठे...?? गीदड़ ने आखिर कैसे, शेरो का रस्ता मोड़ दिया क्या गीदड़ में है दम या शेरो ने शिकार करना छोड़ दिया...??? शायद अब शेरनियो ने शेरो को जनना छोड़ दिया या खून शेरो का पानी है, तभी तो लड़ना छोड़ दिया, कुत्ते करेंगे राज अब, और शेर मांद में सोयेगा बैठ कही किसी कोने में फिर, किस्मत को अपनी रोयेगा थुकेगी दुनिया गर शेर होकर, तुम कुत्तो से डर जाओगे फट जायेगा कलेजा कुत्तो का, जो एक बार गुर्राओगे.....!!!

Friday, January 11, 2013

पहाड़ों को हिला देने में सक्षम परमवीरों - योद्धाओं का राष्ट्र।

किन्तु कमजोर सरकार। हमारी सरकार, चाहे किसी पार्टी-नेता की हो, पाक में खौफ पैदा कर सके यह असंभव ही है। किन्तु करना ही होगा। अटल बिहारी वाजपेयी से मनमोहन सिंह तक ने ऐसा कुछ नहीं किया। इसीलिए तो मुंबई 26/11 हुआ। इसीलिए मेंढर में सिर काट दिया। इसीलिए तो माओवादी हमारे जिस्म में बम रखने लगे। नो मैन्स लैंड! वास्तव में। नियंत्रण रेखा पर भी ‘नो मैन्स लैंड’ होता है। जवान के जिस्म में बम रखने का दृश्य भी जिस मशहूर हॉलीवुड फिल्म से हैं- उसका नाम भी ‘नो मैन्स लैंड’। और नेतृत्व के अभाव का अहसास भी तो हमें ‘नो मैन्स लैंड’ बना देता है।