मनुष्य को सदा अपनी पिछली पराजय को याद करना चाहिये – चाणक्य नीति
आचार्य सदा कहते थे कि हमारी सबसे बड़ा गुरू हमारी पिचली पराजय होती है ।
हम अपनी हार को याद कर बेहतर रणनीति का चयन कर सकते हैँ । अत: अपनी पराजय
से हताश होने के बजाए उसे अपना प्रेरणा सत्रोत्र बनाना चाहिए ॥